थक गई है जिदंगी
काम के भार से
कुछ पल तो निकालो
फुर्सत के आराम के
हासिल होगी हर मंजिल
सोचो तो जरा
इत्मीनान से ।
काम के भार से
कुछ पल तो निकालो
फुर्सत के आराम के
हासिल होगी हर मंजिल
सोचो तो जरा
इत्मीनान से ।
निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते अचानक यूं छोड़ जाता है कोई सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...