कहती हूं हाले दिल जो कभी
रोक देते हो चुप रहना नहीं आता?
हो जाती हूं खामोश अगर
रास नहीं आती खामोशी
टोंक देते हो बोलना नहीं आता?
रहते हो दूर दूर मगर
हो जाऊ दूर अगर
ढूंढते हो मिलने के बहाने
फासले सहा नहीं जाता।।
होता है महसूस तुम्हें भी मगर
रोक लेते हो खुद को कहा नहीं जाता
कहते हो रखो दूरियां मुझसे
और छोड़ जाते हो खुद को मुझमें
तुम्हे तो ठीक से दूर होना भी नही आता।।