Tuesday, October 13, 2020
अलग
तेरे इंतजार में
तेरे इंतजार में बातें खुद से तमाम कर लेती हूं
कभी लिखती हूं कभी गुनगुनाती हूं
सवार कर खुद को दर्पण निहार लेती हूं
हर दिन अगले दिन का इंतजार कर
कम हो रही है दूरियां कितनी हिसाब कर लेती हूं
हर लम्हा हो तेरा खुशगवार
हर इंतजाम कर लेती हूं
मिलन की हर घड़ी संजो मन में रख लेती हूं
जाकर आओगे फिर इस इंतजार में
मन को तेरी यादों से भर लेती हूं।
Wednesday, October 7, 2020
शब्द
Sunday, October 4, 2020
जिंदगी के रंग
हंसाती है कभी, कभी रुलाती है जिंदगी
कभी पास कभी दूर ले जाती है जिंदगी
देकर उम्मीद कभी दामन छुड़ा देती है जिंदगी
कभी अर्श कभी फर्श पर लाती है जिंदगी
कभी गैरों का साथ कभी अपनों से अलगाव लाती है ज़िंदगी
बुझाकर एक दिया कभी हजार दिए जलाती है जिंदगी
मुरझा कर मन की कली को कभी बहार लाती है जिंदगी
समझ में ना आती पर समझाती है जिंदगी
मंजिल का पता नहीं पर उम्र भर चलाती है जिंदगी
नहीं कोई ठहराव रुक गई जो खत्म हो जाती है जिंदगी
है शिक़ायत तमाम फिर भी हंसी हैं जिंदगी
सबको है जिंदगी से प्यार
बीते उम्मीद में चाहे उम्र तमाम
तू ही बता जिंदगी तेरा क्या नाम?
चलती है उम्मीद पर
हां शायद उम्मीद ही जिंदगी का नाम।
Saturday, October 3, 2020
मन का सवाल
मन से मन का रिश्ता क्या मन समझ पाएगा?
मन से मन की है जो बात
क्या मन जान पाएगा?
मन में मन की जो है प्यास
मन से मन की जो है आस
क्या मन करेगा पूरी वो प्यास?
मन में जो है तमन्ना
क्या हसरत बन रह जाएगा?
मन से मन का जो है सवाल
क्या मन देगा मन को जवाब?
मन से मन क्या मिल पाएगा?
देगा मन मन का साथ
या अकेला छोड़ चला जाएगा?
है सवाल मन से मन के कई
देगा जवाब मन या
मन का सवाल मन में रह जाएगा?
सोचा न था
निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते अचानक यूं छोड़ जाता है कोई सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...
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चलती है जिदंगी जब तक रफ्तार हो न छोड़ उम्मीद का दामन चाहे आखिरी सांस हो जियो इस तरह जिदंगी कि जहाँ को तुम पर नाज हो।
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माना नामुमकिन है वक्त को रोक पाना बहते समय की धार को कहीं मोड़ पाना। करें उदास जब जिंदगी की राहें कुछ देर ठहरना, बचपन में खो जाना, वो रूठना...
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न हो मुलाकात तो डायरी के पन्ने बुलाते हैं। मैं लिखती नहीं, बीते लम्हे मुझसे लिखवाते हैं। सुबह की मुस्कान, कभी शाम की थकान दोनों, अक्सर अक्षर...