डरता था दिल बार बार
पर दिल को था ये ऐतबार
की तुम ऐसे नही हो।
थमा था जब तुमने हाथ
दिल ने कहा था
हाथ पकड़कर छुड़ा लोगे
तुम ऐसे नही हो।
ना कोई वादा था ना कसमें हजार
बस दिल को था ये अहसास
छोड़ दोगे बीच सफर में
तुम ऐसे नही हो।।
टूट गया भरम, खत्म हुआ अहसास
दिल से आई बस एक आवाज
माना खुदा जिसे की इबादत
दिन रात
तुम वैसे तो नही हो।।