कदमों की आहट से दुश्मन थराए
देख चेहरे का तेज सूरज भी शीश झुकाए
बांहों में जिनके हिमालय सा दम
रहे देशहित में हरदम
हो राहें पथरीली या समतल
रुके नहीं जिनके कदम
मौत भी जिनको डरा ना पाए
कोई बाधा उन्हें क्या रोक पाए?
चट्टानों में भी जो रास्ता बनाएं
कर आसमां से निगरानी देश बचाए
रुकी सी जिंदगी को जो रफ्तार दे जाए
चीरकर लहरों का सीना
आगे ही बढ़ती भारतीय सेना
मिटा कर खुद की हस्ती लहराते तिरंगा
देकर खून जिगर का बहाते देश प्रेम की गंगा
है धन्य फौजी का जीवन
निछावर करे जो मातृभूमि पर तन मन
है महफूज सरहदें तुमसे
वतन की शान है तुमसे
हो सफल वह जीवन
जब मिले फौजी का तन।