Thursday, December 30, 2021

तुम्हे याद है की नही?

 तेरी आंखों में मेरा जो ख्वाब था

तुम्हे याद है की नही?

कटती थी रात बातों में

बंद हो जो आंखे मिलते थे ख्वाबों में

वो बातें वो ख्वाब तुम्हे याद है की नही?

जुदाई के बाद मिलने का इंतजार था

मिल के फिर मिलने का इंतजार था

वो जुदाई वो मिलन तुम्हे याद है की नही?

तन्हाई में जब होते थे साथ

बंद कर आंखे सुनते थे धड़कनों की आवाज़

वो तन्हाई वो धड़कन तुम्हे याद है की नही?

बैठ दरिया किनारे बुने थे जो ख्वाब सारे

वो दरिया वो ख्वाब तुम्हे याद है या नही?

दूर रहकर भी था इंतजार

रहते थे हरदम हम बेकरार

वो इंतजार वो बेकरारी

तुम्हे याद है की नही?

हो गए हम जुदा बस खयालों में प्यार बाकी

पास ना सही पर अहसास है की नही?

तेरी आंखों में मेरा जो ख्वाब था 

तुम्हे याद है की नही?

Tuesday, December 28, 2021

जाने क्या है बात?

 जाने क्या बात है नींद नही आती, आज की रात

जाने क्या है बात?

नींद नही आती आज की रात।


मेरे मन का मालिक बहुत बा असर है।

खयालों में हर पल उसी का असर है।

हुई खुद से लापता,

ढूंढती ना जाने कौन सा पता।


खुद से बेखबर ,बेचैन सी नजर,

सूझता नही कुछ, जाने किस का असर?


जूझता है मन सवालों में

आए एक चेहरा खयालों में।


जादू सा हो रहा उसका असर

आज की रात,

नीद नही आती जाने क्या है बात?

Monday, December 27, 2021

याद आया कोई

जमाने  बाद याद आया कोई ,
अधूरी खुशियाँ  मुकम्मल दर्द लाया कोई।

जमाने  बाद याद आया कोई,
साथ देने का वादा कर , हुआ पराया कोई।।

वापस ना कर सकी,जो सौगात लाया कोई,
दफन कर दिया जिस दर्द को, 
आंखो से वो दर्द बहाया कोई।

है ये कौन सी कशिश उसके लिए?
ना रहा जिससे अब रिश्ता कोई,
जमाने  बाद याद आया कोई।

याद आता है जो मुद्दतों बाद भी,
कैसे कह दूं मेरा उससे रिश्ता नहीं

Saturday, December 25, 2021

असर

 आंखो से दिल में उतर आया कोई ,

पता नहीं कब ,धड़कनों में समाया कोई।


हो रहा यू असर उसका,

ना रहा मुझ में कुछ मुझ जैसा।।


लिखती हूँ मै, लिखवाता है वो,

गाती हूँ मै, गीत बन जाता है वो।


आंखे खुली हो या बंद ,

हर वक्त नजर आता है वो।।


बातें मेरी ,शब्द बन जाता है वो,

हो गई हूँ उसमे इस कदर मगन,

कि मुझसे मुझे चुराता है वो ।


बिना चाहे सोचूं जिसे दिन रात,

इस कदर बेकरार कर जाता है वो,

आंखो से दिल में उतर जाता है वो।।


Wednesday, December 22, 2021

ना आया करो

 हर रोज ख्वाबों में ना आया करो

सारी सारी रात न यूं जगाया करो

खो जाता है चैन-ओ-क़रार

दिल हो जाता है सबसे बेजार

मासूम सा दिल है मेरा

धड़कने यूं न बढ़ाया करो

रहना नहीं जब दिल में मेरे

आंखो में यूं घर न बनाया करो

बढ़ जाती है मदहोशी

छा जाता है खुमार

ख्वाबों में ना यूं प्यार लुटाया करो

कर मुझे इस कदर बेकरार

चैन से सो जाते हो

जब दिल में नहीं मुहब्बत 

आंखो में क्यूं दिखाते हो?

जिसकी हर धड़कन पर नाम तुम्हारा

उसी नाम से क्यूं कतराते हो?

देख मुझे यूं परेशान

ऐसे ना मुस्कुराया करो

नाजुक दिल से मेरे यूं खेल न जाया करो

हर रोज ख्वाबों यूं न आया करो।

Friday, December 3, 2021

मालूम नहीं

 हो रही है उनकी आदत या है ये मुहब्बत, मालूम नहीं ।

क्यों आँखों को है रात  रात भर जगने की लत, मालूम नहीं। 


मिलेगा नहीं  उधर से कोई जवाब ये भी पता  है  मुझको

फिर भी क्यों मैं  इंतजार करती हूँ अविरत, मालूम नहीं। 


बसा लिया आंखो में जिनको वो मुड़कर भी नहीं देखते,

उनके दीदार को क्यों है बेक़रारी की हालत, मालूम नहीं। 


सब  जान के  भी  हैं खामोश   उनका इंतजार क्यों!

शायद इस दिल की अब आई है शामत, मालूम नहीं। 


पता नहीं है उस दरिया का इंतजार मैं क्यों करती हूँ,

जिस दरिया से बूँद प्यार  की मिली न अब तक, मालूम नहीं।




जिसकी सफ़र की कोई राह नहीं मंजिल  ही तय है,

उस  सफर से मुझको क्यों है उल्फ़त, मालूम नहीं।

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...