तपती धूप में शीतल सी छाँव है माँ।
ठिठुरती ठंड में जो ऊष्मा अलाव है माँ।।
मुरझाए जीवन को खिलाए वह बरसात है माँ।
हटाकर शूल जो खिलाए फूल
वह वसंत है माँ।।
ऊपर से सख्त और भीतर से नर्म है माँ।
कभी ठंडा और कभी बहुत गर्म है माँ।।
आने दो पापा को कहकर डराती है माँ।
पर डाँटने पर खुद ही बचाती है माँ।।
सुधर जाओ है कमियाँ बहुत गिनाती है माँ।
पर अकेले में खूबियाँ ही बताती है माँ।।
है एक शब्द माँ, पर शब्दों से परे है माँ।
जीवन का मान, सम्मान व आधार है माँ।।