है वही सावन, वही बूंदों की फुहार
बस तुम नही हो।
है गुलशन में ,बहार ही बहार
बस तुम नही हो।।
भाती थी तुम्हे जो चूड़ियां
जो साजो श्रृंगार,
बज रहे हैं आज भी पैरों में
पायल की झंकार,
सब है,बस तुम नही हो।
है आज भी तुम्हारा एहसास
करती हूँ महसूस, हो मेरे पास
यादें हैं,बस तुम नही हो।।
कहा था तुमने ,भींगेंगे सावन में तन मन,
खिल उठेगा जीवन ,जिंदगी होगी मधुबन,
है वही बरसात
बस तुम नही हो।
हर शब्द में था छलावा
रह गया बस पछतावा
मेरा दिल है तेरे पास,
बस तुम नही हो।।