पहन के पीली चुनर
निखर गया धरती का रंग
हर्षित हुआ तन मन
ऋतु ने ली अंगड़ाई
आया सुहावना वसंत
नव कोपलों से भर गया उपवन
कोयल सुनती गीत मधुर
खिल गई मंजरिया बहार बन
प्रकृति ने किया श्रृंगार नववधू बन
आ गया प्रीत का मौसम
ऐसे में छुप गए हो तुम कहां प्रियतम?
बिन तेरे जीवन हो जैसे पतझर
आ जाओ जिंदगी में बहार बन
ख़त्म हो पतझर
जीवन बने मधुबन।
निखर गया धरती का रंग
हर्षित हुआ तन मन
ऋतु ने ली अंगड़ाई
आया सुहावना वसंत
नव कोपलों से भर गया उपवन
कोयल सुनती गीत मधुर
खिल गई मंजरिया बहार बन
प्रकृति ने किया श्रृंगार नववधू बन
आ गया प्रीत का मौसम
ऐसे में छुप गए हो तुम कहां प्रियतम?
बिन तेरे जीवन हो जैसे पतझर
आ जाओ जिंदगी में बहार बन
ख़त्म हो पतझर
जीवन बने मधुबन।