Friday, January 31, 2020

बसंत

पहन के पीली चुनर
निखर गया धरती का रंग
हर्षित हुआ तन मन
ऋतु ने ली अंगड़ाई
आया सुहावना वसंत
नव कोपलों से भर गया उपवन
कोयल सुनती गीत मधुर
खिल गई मंजरिया बहार बन
प्रकृति ने किया श्रृंगार नववधू बन
आ गया प्रीत का मौसम
ऐसे में छुप गए हो तुम कहां प्रियतम?
बिन तेरे जीवन हो जैसे पतझर
आ जाओ जिंदगी में बहार बन
ख़त्म हो पतझर
जीवन बने मधुबन।

Monday, January 27, 2020

कीमत

एक नए रिश्ते की बात आई
घर में खुशियों की लहर छाई
लड़की बोली संकुचाई
लड़के की डिटेल्स बताओ भाई
लड़के की योग्यता कुछ इस तरह सामने आई
लड़के का बाप है एस. आई.
विदेश में रहता है भाई
लड़के ने  मेहनत से सरकारी क्लर्क की नौकरी पाई
मध्यस्थ बोला लेन-देन की बात भी तो कर लो भाई
एक लंबी लिस्ट निकल के सामने आई
दस लाख के साथ स्कॉर्पियो भी नजर आई
लेन-देन की बात नहीं यह तो रस्म है भाई
मध्यस्थ ने कुछ इस तरह अपनी भूमिका निभाई
लड़की की मां बस इतना ही बोल पाई
लोग पूछेंगे बहू साथ क्या लाई
10 तोले ठीक है बड़ी है महंगाई
होगी जग हंसाई जो घर का सामान साथ ना लाई
इकलौते देवर की होगी रुसवाई
उसके लिए जो कोई उपहार नहीं लाई
सब सुन लड़की जो अब तक थी शरमाई
बोली नाल कटाई की कीमत क्यों नहीं लगाई
बेच दो बाजार में मिल जाएगी कीमत सही
ले जाओ तशरीफ़ लाइन में है अभी कई।



Saturday, January 25, 2020

नमन

सहते है दर्द हर पल
नहीं आती माथे फिर भी पर कोइ शिकन
आसान नहीं फ़ौजी का जीवन
मिलते है जब सेना के तीन अंग
बन त्रिनेत्र निकाल देते हैं दुश्मन का दम
ठंड से कांप जाता है जब जनजीवन
करते हैं हिफाजत सजग प्रहरी बन
चिलचिलाती धूप हो या बारिश की बौछार
रोक ना पाए इनको कोई मौसम
खतरे में हो जब जीवन
बढ़ाते हाथ फरिश्ता बन
सौ को मारे एक जवान
हंसकर निछावर कर दे मातृभूमि पर प्राण
हर सांस तुम्हारी कर्जदार
तुम्हारे हर त्याग का आभार
करते हैं तुम्हारा वंदन
भारतीय सेना तुम्हें नमन

Tuesday, January 21, 2020

दौर

न रहा वो दौर
तो ये दौर भी कहां रह पाएगा
मुरझा गए जो खुशियों के फूल
उम्मीदों का गुलशन फिर से खिला जाएगा
बरसेगा जो उदासी का बादल
खुशियों की फसल दे जाएगा
ना हो मायूस गम के अंधेरों से
हो अंधेरा जितना भी घना
अंधेरे को चीर सूरज रोशनी बिखराएगा
चला गया जो जिस रास्ते से
उसी रास्ते लौट के आएगा
बुरा नहीं वक़्त कोई
तोहफे में सबक दे जाएगा
खुदा नहीं पर मुकम्मल इंसान बनाएगा
तन्हा ना रहो तन्हाई में
तन्हाई ही दिल की बात समझ पाएगा
क्या है गम जो न समझ पाया कोई
खुद को समझ ले ये सबक काम आएगा
सीधी राह चलते है सभी
पथरीले रास्ते जो पार कर पाएगा
मंज़िल वहीं पायेगा।

Tuesday, January 14, 2020

नाराज

संवार रही थी जुल्फें
आइने ने पूछा मुझसे
है तू कली पर
मुरझाई है क्यों मन से?
क्या दूं जवाब पूछा मन ही मन में
मिलाना जब कोई जवाब खुद से
दिल ने  कहा नाराज़ हूं शायद
किसी और से नहीं खुद से
मालूम नहीं शिकायत है क्या खुद से
नाराज हूं शायद मन की उड़ान से
या उड़ान के अंजाम से
नाराज हूं शायद किसी खुशी किसी गम से
नाराज हूं प्यार से
या खोने के एहसास से
नाराज हूं भरोसे पे
या टूट जाने से
नाराज़ हूं खोने से
या क्यों पाया इस बात से
जो ना मिल पाया इस मलाल से
सवाल है कई
पर ना आया कोई हल निकल के
नाराज़ हुए शायद खुद से।




Monday, January 6, 2020

बेटी

घर की शान है बेटी
जिंदगी की मुस्कान है बेटी
शिक्षा,साहस धैर्य से सींचो
फिर तो बेटो से भी गुणवान है बेटी
एक कुल नहीं
दो कुलो की शान है बेटी
हर मुसीबत पार कर
मान बढ़ाए बेटी
आ जाए जो मुसीबत कभी
हर चुनौती से जूझ जाती है बेटी
बेटी के जन्म पर मुरझा  क्यों  जाते हो?
जन्म से प्रतिभा पर सवाल लगाते हो?
भार नहीं प्रकृति का वरदान है बेटी
देख सफलता किसी और की
उलाहना दे जाते हो
पर पीछे हाथ है किसी मां बाप के तप का
वो क्यों नहीं देख पाते हो
छोड़ शिकायत स्वागत करो धरा पर
हो अभिमान उन्हें भी तुम पर।



Saturday, January 4, 2020

पिता

मां ने आकार दिया
तुमने संवार दिया
पड़ा जब भी गम का साया
सीने से लगा दुलार किया
छोड़ खुद की खुशी अधूरी
पूरी की हर ख्वाहिश मेरी
सपने को मेरे अपना बना लिया
हर शरारत पर मेरी लाड़ किया
न समझा बोझ कभी
ना की तुलना कभी
मुझ पर ही नाज़ किया
दर्द पर मेरे आंसू खुद ही बहा लिया
दे खुद कि हंसी हंसना सीखा दिया
सह कर हर गम रखा महफूज़
क्यों चले गए पापा तुम मुझसे दूर
जीवन है क्या समझ में आया
जब ना रहा तेरा साया
मिल जाए चाहे खुशी कोई
फिर भी ना होगी भरपाई तेरी
लेकर यादें तेरी करूंगी पूरी
हर चुनौती जिन्दगी की
साथ ना रहकर भी हो पास
मन को है ये विश्वास



Friday, January 3, 2020

तलाश

अंधेरे में उजाले की आस जैसे
रेगिस्तान में पानी की प्यास जैसे
भंवरे का कली से प्यार हो जैसे
बारिश में पपीहे कि पुकार हो जैसे
आसमान से बंजर धरती की आस हो जैसे
उखड़ती सी जिंदगी को सांसों की आस हो जैसे
जिंदगी को तेरी तलाश है वैसे
मिल जाओ जो तुम अगर
जिंदगी  बहार  हो जैसे।

Wednesday, January 1, 2020

नववर्ष

साल नया उल्लास नया
तोड़ तम की निशा को
चमका है प्रकाश नया
उम्मीदों का दामन थाम
जीवन पथ पर बढ़ते जाएंगे
रहे ना कोई बैर पुराना
ऐसे नया साल मनाएंगे
रोते को हसाएंगे
नफ़रत की दीवार गिराएंगे
गर कर ना सके कुछ खास
बन नेक इंसान
इंसानियत जगाएंगे।

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...