नशा
उसकी बातों का नशा है
उसके दीदार का नशा है।
बस यूँही हुईं जो मुलाकात,
उस मुलाकातका नशा है।
उसके इंतजार का नशा है
इंतजार में बढ़ी जो बेकरारी
उस बेकरारी का नशा है।
उसके इनकार पर इकरार का नशा है।
इनकार के बाद हुई मुहब्बत,
उस मुहब्बत का नशा है।
उसकी बेरुखी से बहे जो अश्क,
उन अश्कों का नशा है।
मनाकर मुझे छुआ मेरे हाथों को,
उस छुअन का नशा है।
बनाकर दीवाना हमको कहता है वो
तुम्हे नशा है।
प्यार नही हैं ये नशा है,
बस गया है वो निगाहों में
मुझे बस उसका नशा है।