Wednesday, November 30, 2022

नशा

 नशा


उसकी बातों का नशा है

उसके दीदार का नशा है।


बस  यूँही हुईं जो मुलाकात,

उस मुलाकातका नशा है।


उसके इंतजार का नशा है

इंतजार में बढ़ी जो बेकरारी

उस बेकरारी का नशा है।


उसके इनकार पर इकरार का  नशा है।

इनकार के बाद हुई मुहब्बत,

उस मुहब्बत का नशा है।


उसकी बेरुखी से बहे जो अश्क,

उन अश्कों का नशा है।


मनाकर मुझे छुआ मेरे हाथों को,

उस छुअन का नशा है।


बनाकर दीवाना हमको कहता है वो

तुम्हे नशा है।


प्यार नही हैं ये नशा है,

बस गया है वो निगाहों में

मुझे बस उसका नशा है।

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...