निगाहों में केवल बसाया मुझे बस,
दिल में बसाते तो कुछ और बात होती।
दो घूंट पिलाकर तो चाहत बढ़ा दी,
प्यास पूरी बुझाते तो कुछ और बात होती।
सराहा जिस्म की खूबसूरती को केवल,
मन को भी देख पाते तो कुछ और बात होती।
चले दो कदम साथ मेरे मगर तुम,
हमसफर बन जाते तो कुछ और बात होती।
वादा कभी कोई था ही नहीं पर
साथ मेरा निभाते तो कुछ और बात होती।
समझ ली अनकही मेरी बातें भी लेकिन,
जो कहा, समझ जाते तो कुछ और बात होती।
समझा तुमने सारे ज़माने को बेहतर,
मुझको भी समझ पाते तो कुछ और बात होती।