हो रही है बरसात अंदर भी बाहर भी
भिंगा रही है बौछार तन भी मन भी
मद्धम है सांसे है आंख भी नम
पढ़ ना सकी चेहरे ये कमी नहीं है कम
उठती थी उमंगे खिलता था मन
लेकर सवाल बहुत आया इस बार बारिश का मौसम
बूंदे जो लाती थी तन मन में सिहरन
बहती है आज आंखों से नमी बन
बूंदों की फुहार से खिल उठा था बचपन
अनछुए बूंदों की ताजगी चुरा गया यौवन
आता है मन में सवाल रह रह कर
क्या पाया बचपन खोकर?
बस एक था ख्वाब जो रह गया सपना बनकर
दिखा गई हकीकत जिंदगी आईना बनकर।
भिंगा रही है बौछार तन भी मन भी
मद्धम है सांसे है आंख भी नम
पढ़ ना सकी चेहरे ये कमी नहीं है कम
उठती थी उमंगे खिलता था मन
लेकर सवाल बहुत आया इस बार बारिश का मौसम
बूंदे जो लाती थी तन मन में सिहरन
बहती है आज आंखों से नमी बन
बूंदों की फुहार से खिल उठा था बचपन
अनछुए बूंदों की ताजगी चुरा गया यौवन
आता है मन में सवाल रह रह कर
क्या पाया बचपन खोकर?
बस एक था ख्वाब जो रह गया सपना बनकर
दिखा गई हकीकत जिंदगी आईना बनकर।