Tuesday, December 31, 2019

विदाई

एक साल और गया
थोड़े गम थोड़ी खुशियां दे गया
एक और साल गया
कोई चाहत हुई ख़ुद ही पूरी
कोई ख्वाहिश रह गई अधूरी
थोड़ा सयाना थोड़ा नादान बना
एक और साल गया
थोड़ा सहला गया थोड़ा तड़पा गया
भर कर झोली थोड़ी कुछ साथ ले गया
दिखा सपने कई कई याद छोड़ गया
दर्द दे बेहिसाब चंद अल्फाज छोड़ गया
जिंदगी है सुख दुख का संगम
एक और बार सीखा गया
एक और साल गया।



Sunday, December 29, 2019

मंजरी

मैं मंजरी हूं
जीवन के आरंभ में हूं
जीवन के अंत में हूं
हर खुशी हर गम हूं
मै मंजरी हूं
जीवन समर्पित इतना
कभी देवों के सर चढ़ी
कभी जीवन को किया विदा
निरंतर खिलना पहचान मेरी
बिन मेरे महफिलों की
 रंगत भी पड़ जाए फीकी
उपासना भी मुझ बिन अधूरी
चाहत नहीं खुद की कोई
सबके चेहरे पर हो मुस्कान
बस इतनी ख्वाहिश मेरी।

Tuesday, December 24, 2019

असर

लगाया जो काजल उसने आंखो में
चुराया चैन उन निगाहों ने
गिर  गई जो एक लट  गालों पे
छुप गया चांद बादलों में
दिल धड़का दिया होंठो की लाली ने
दिल लूटा हंसी निराली ने
बोल के चंद अल्फाज
जान लिया दिल का हर राज
हर पल कानों में आती है उसकी आवाज़
जाने कैसा ये राज
ना हुर ने ना अप्सरा ने
दिल छीना  लड़की
भोली भाली ने।

Sunday, December 22, 2019

बनारस

आन बनारस शान बनारस
जिंदगी का नाम बनारस
मस्ती का पैगाम बनारस
शिक्षा का धाम बनारस
मुक्ति का द्वार बनारस
स्वाद का संगम बनारस
रस का शहर बनारस
घाट का शहर बनारस
घंटों की आवाज बनारस
पुराने से प्राचीन बनारस
विकास की हवा बनारस
फकीरी में भी धनवान बनारस
बेफिक्री का नाम बनारस
दिलवालों का शहर बनारस
शून्य से शिखर बनारस
शहर नहीं कोई आम बनारस
इतिहास का दूजा नाम बनारस।

Monday, December 16, 2019

कोशिश

गर पाने की है चाहत
सिर्फ एक तारा नहीं
सारा आकाश तुम्हारा है
ना निहारो एक फूल को
जब गुलशन तुम्हारा है
सीख लो अगर
तिनकों
तिनकों को जोड़ने का हुनर
फिर आशियाना तुम्हारा है
जीत पाओ जो खुद को अगर
फिर तो जमाना तुम्हारा है।

Sunday, December 15, 2019

क्यूं

बात बराबरी की तुम्हे खटक क्यों जाती है?
पाया जिनसे जीने का अधिकार
नज़रें उन्हीं पर मचल क्यों जाती है?
हाथ पकड़ कर चलना सीखा जिनसे
नज़रें उन्हें ही क्यों डराती है?
नौ महीने रहकर उनमें
उनकी वेदना समझ क्यों नहीं आती है?
इंसानियत छोड़ना क्या यही
मर्दानगी कहलाती है?
पुरुषत्व उन्मत हुआ
जब महिष रूप में
नारी ने संहार किया दुर्गा रूप में
ये बात कैसे भूल जाती है?
मांगकर शक्ति से शक्ति
बनते हो बलवान
शरम क्यों  नहीं आती है?
किस ज्ञान का है अभिमान?
हारकर  विद्योतमा से ही
बना कोई कालिदास
लड़की को संस्कार सिखाते हो
लड़के को जैंटलमैन क्यों नहीं बनाते हो?
सौम्यता का रूप है जो
उसे काली क्यों बनाते हो?
नारी से ही है जीवन में खुशियां
सीधी सी बात समझ क्यों नहीं पाते हो?









Tuesday, December 10, 2019

अक्स

ना परी ना हूर जैसी
ना  शायर की गजल जैसी
ना सूरज का तेज ना चांदनी जैसी
ना सरगम के सुर जैसी
थोड़ी अलबेली थोड़ी पहेली
थोड़ी सी अलग खुद की सहेली
मुश्किलों को पार करती अकेली
क्या कहूं किसके जैसी
मैं बस मेरी जैसी।


Monday, December 9, 2019

बात

सोच समझ के तोलो
फिर मुंह से बोलो
क्योंकि बाते है
बेहद खास
बाते ही रिश्तों में
लाती है मिठास
बातो से आती खटास
बात बिगाड़े काम
बिगड़े काम बनाए बात
बाते लाती है पास
बात ही कराती
दूरी का अहसास
दिल लुभाती है बात
दिल दुखाती है बात
अच्छी बात प्यारी बात
कई तरह की होती बात
याद रखना हमेशा ये बात
जब भी बोलो कोई बात
हो मिठास मगर
बोलो सच्ची बात।

अकड़

थे साथ हम मगर
तुम थे हम नहीं
सुना है आशियाने तेरे कई
ठिकाना मेरा कोई नहीं
आम है किस्से तेरी रहनुमाई के
हक मेरा कोई नहीं
है गुरुर जो खुद पर अगर
याद ये भी रखना मगर
जो ना हो झुकने का हुनर
आंधियों में बिखर गए जो
ठिकाना उनका कोई नहीं।

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...