Thursday, February 27, 2020

एहसास

था बरसों से जिसका इंतजार
थम सी गई सांसें आये जब वो पास
ना पूछो दिल का क्या था हाल?
रोक न पाई वो लम्हा बस ये है मलाल
दिया जब हाथों में हाथ
मिल गई खुशियां कई एक साथ
सिमट गई दुनिया बाहों में
सच में हुए अरमान जो थे ख़्वाबों खयालों में
पाकर प्यार तेरा बिछ गए फूल ही फूल राहों में
ना कोई अरमा अब  खयालों में
रखना हमेशा पर अपनी पनाहों में
बसा लेना मुझे अपनी निगाहों में।

Thursday, February 13, 2020

आधुनिक प्रेम दिवस

चलने लगी फगुनाई, माह फरवरी संग लाई
प्रेम प्रदर्शन दिवस साथ है लाई
वैलेंटाइन डे मनाएंगे सभी बहनों के भाई
खर्च करेंगे प्रेयसी पर पिता की गाढ़ी कमाई
दिलरुबा भी सज धज कर आई
ख्वाहिशों की लंबी फेहरिस्त साथ लाई
सिर्फ गुलाब से ना चलेगा
लिस्ट में स्मार्टफोन के साथ डायमंड
 रिंग भी नजर आई
जानू कुछ कम करो बड़ी है महंगाई
लड़के ने विनय से गुहार लगाई
14 फरवरी को समझ आई प्रेम की गहराई
पर 14 नवंबर को गलती समझ में आई
जान गई जो दुनिया होगी रुसवाई
कुछ एडजस्ट कर मामला ख़त्म करो भाई
लड़के की तरफ से पेशकश आई
ख़त्म हुआ प्रेम जब दुनिया नजर आई
सहमा रहा 2 महीने दिल कहीं ना नज़र उठाई
दिल तो है दिल फिर से मचल  गया भाई
फिर से फ़रवरी आई
कुछ महीनों की खुशियां साथ लाई
भूल कर जुदाई का गम
खुश है सभी वेलेंटाइन के संग।





Friday, February 7, 2020

कशमकश

डरता है दिल इकरार से
बीत गया जो उस एहसास से
दे रहा कोई दस्तक मगर
डरता है दिल जुदाई के ख्याल से
बंद कर दिए दरवाजे सभी
आ रहा मगर ना जाने किस कोने से?
ना करूं बात चाहे महीने से
आती है फिर भी आवाज़ धीरे धीरे से
ना मालूम हाल है ये कब से ?
बिन चाहे ही कर गया
असर वो करीने से।



Monday, February 3, 2020

ख्वाहिश

ख्वाबों को मेरे याद दे जाओ
समा जाए जो रूह में वह एहसास दे जाओ
बुझ के भी जो ना बुझे वह प्यास दे जाओ
भूल जाऊं जिसमें खुद को वह लम्हा दे जाओ
ना बोले लब मगर आंखों से बातें बेशुमार कर जाओ
ना हो उम्र  लंबी बस अगले पल को जीने की चाह दे जाओ
गलत पहचाना दुनिया को बहुत  वह पहचान सही कर जाओ
फरेब मिला है प्यार में एक बार फरेब को प्यार कर जाओ
जीत लो मुझे मगर बस  दिल हार जाओ
जरूरत नहीं घर कि  बस अपने दिल में बसा जाओ
बेकरार है दिल ये बहुत थोड़ा करार दे जाओ।

Saturday, February 1, 2020

सहारा

देखा था कल जिन पेड़ो को इठलाते हुए
पड़े आंधी से आज जमी पर खुद पर सवाल उठाते हुए
भरोसा था जिन दीवारों पर
देखा उन्हें भी वक़्त की आंधी से ढह जाते हुए
लहरों को नाज़ था जिस मांझी पर
देखा उन्हें भी नाव डुबाते हुए
था दुश्वार जिनके बिना
देखा उन्हें भी दूर जाते हुए
इंसानों की बात क्या?
देखा साया भी छोड़ जाते हुए
बीत ना जाए उम्र यूं ही सहारा तलाशते हुए
देखा है सहारे  को सहारा तलाशते हुए
बिछ जाएंगे राहों में फूल ही फूल
कांटे हटाते हुए
मिलेगी मंज़िल सहारे से दूर
मेहनत से भाग्य बनाते हुए।


सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...