चलो जिंदगी ये नया करते हैं।
बेवफा को यादों से रिहा करते हैं।
जो खुश हैं हमारे बिना उनको,
अपनी यादों से जुदा करते हैं।
गैरों से कर ली मोहब्बत बहुत,
अब खुद से प्यार, याखुदा करते हैं।
वो अपने, जो ताउम्र सपने रहे,
नींद में ही, उन्हें क्यों छुआ करते हैं।
वो अपनी खता से बाखबर मंजरी,
फिर भी बारहा खता करते हैं।
*-मंजरी*