नारी हूं पर सिर्फ देह नही
प्यार का सागर हूं पर
विलासिता का साधन नही
नैनो मे बस क्यों देखी मधुशाला
इनमे ही रहती है करूणा की धारा
लबों को छूने की है बेकरारी
पर क्यों न सुन पाये
इनकी अनकही कहानी
मंदिरों में नारी के जयकारे लगाते हो
फिर नारी देख मचल क्यों जाते हों?
ऋंगार नही आधार हूं
नजरिया बदल के देखो
भार नही
तुम पर उपकार हूं।
प्यार का सागर हूं पर
विलासिता का साधन नही
नैनो मे बस क्यों देखी मधुशाला
इनमे ही रहती है करूणा की धारा
लबों को छूने की है बेकरारी
पर क्यों न सुन पाये
इनकी अनकही कहानी
मंदिरों में नारी के जयकारे लगाते हो
फिर नारी देख मचल क्यों जाते हों?
ऋंगार नही आधार हूं
नजरिया बदल के देखो
भार नही
तुम पर उपकार हूं।