Saturday, August 24, 2019

देह

नारी हूं पर सिर्फ देह नही
प्यार का सागर हूं पर
विलासिता का साधन नही
नैनो मे बस क्यों देखी मधुशाला
इनमे ही रहती है करूणा की धारा
लबों को छूने की है  बेकरारी
पर  क्यों न सुन पाये
इनकी अनकही कहानी
मंदिरों में नारी के जयकारे लगाते हो
फिर नारी देख मचल क्यों जाते हों?
ऋंगार नही आधार हूं
नजरिया बदल के देखो
भार नही
तुम पर उपकार हूं।




Friday, August 16, 2019

साथ

आसान राहों में
मिल जाते है हमराही कई
पथरीले रास्तों में
नजर नही आता कोई
खिलते  गुलशन  के
बागबां है सभी
पतझड़ का
रखवाला नही कोई
महफिलों के साथी सभी
तन्हाई में साथ छूट जाते  है सभी
खुशियो से  नही
गमों से  भी
जो करें प्यार
वही है सच्चा साथ

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...