बैठे हो क्यों दुनिया से मुंह मोड़ कर।
आएगा पीछे जमाना देख तू खुद को जोड़ कर।।
है पथरीली राहें पर चलना है
तपकर दुख की आंच में ।
कुंदन सा निखरना है
याद कर दुनिया आसान थी कब?
संघर्ष तब भी था जब मां के पेट में था ।
फिर जमाने के बातो से दिल क्यों
दुखाता है?
जीवन के संघर्ष में जो रुक जाता है।
हकीकत नही बस ,यादें बन जाता है।।
आज है उनकी बारी
गिनाएंगे गलतियां सारी।
सपनो पर विश्वास बनाए रखना
किसने क्या कहा क्या गिनना?
मुश्किलें तो आती है
सबक हर बार नया दे जाती है।
हर सबक से सीख नया,
हारी बाजी जीत के दिखा।।
फिर हिसाब चुकाना उनसे।
मोड़ा था मुंह जिसने तुमसे।।
छोड़ना ना कभी उम्मीद।
लड़कर ही मिलती है जीत।।