Monday, August 9, 2021

संघर्ष

 बैठे हो क्यों दुनिया से मुंह मोड़ कर।

आएगा पीछे जमाना देख तू खुद को जोड़ कर।।


है पथरीली राहें पर चलना है

तपकर दुख की आंच में ।

कुंदन सा निखरना है

याद कर दुनिया आसान थी कब?


संघर्ष तब भी था जब मां के पेट में था ।

फिर जमाने के बातो से दिल क्यों 

दुखाता है?


जीवन के संघर्ष में जो रुक जाता है।

हकीकत नही बस ,यादें बन जाता है।।


आज है उनकी बारी

गिनाएंगे गलतियां सारी।

सपनो पर विश्वास बनाए रखना

किसने क्या कहा क्या गिनना?


मुश्किलें तो आती है

सबक हर बार नया दे जाती है।

हर सबक से सीख नया,

हारी बाजी जीत के दिखा।।


फिर हिसाब चुकाना उनसे।

मोड़ा था मुंह जिसने तुमसे।।


छोड़ना ना कभी उम्मीद।

लड़कर ही मिलती है जीत।।

Wednesday, August 4, 2021

हम जमाने से नही

 चलती है दुनियां हकीकत से

फसाने से नही।

जमाना है हमसे 

हम जमाने से नही।।


टूट कर जो बिखर जाए

हम हैं वो शीशा नहीं।

मिलता है दर्द अपनो से

बेगाने से नही।।


हारता है इंसान खुद से

हराने से नही।

मिलती है खुशियां एक से 

जमाने से नही।।


जानना है तो मिलो खुद से

जमानें  से नही।

दिल बहलता है दिल से

तराने से नहीं ।।

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...