चल मन कही दूर चल
जहां दिखे पूरा चांद
जहां मिले खुला आसमान
हो हवा निर्मल
कल कल बहता हो
नदिया का जल।
न हो काला जहरीला धुंआ जहां
बस मुझे वही ले चल।
जहां हो चिड़ियों की चहचहाट
जहां मिले जीवन की आहट
न हो भागम भाग जहां
मिले खुद को खुद का साथ जहां
बस वही ले चल।
चल मन कही दूर चल
जहां चंदा लोरी सुनाएं
सूरज की किरणे सुबह जगाए
जहां हो प्रकृति का संगीत
धूप हरियाली बन जाए मनमीत
ले चल मुझे बस वही ले चल।।