मिटा दी हर तस्वीर तेरी
मुसुकुराती है दिल में मगर सूरत तेरी।
भुला दिया हर याद को
रह रह कर जो याद आए
कैसे भूलूं उन बातों को?।।
वो जाहिर है लफ्जों में मेरे
मै गुमनाम सी खामोशियों में तेरे।
कैसे कहूं की क्या सहते है?
तेरे बगैर भी हम तेरे ही रहते हैं।।
क्या बताऊं किस किस कदर खास हो तुम
साथ नही फिर भी पास हो तुम।।
मांगा कहां कुछ तुमसे ज्यादा है?
रूठ जाऊं तो मना लेना बस यही इरादा है।।