Sunday, November 19, 2023

तलब

 चाहत थी जिसमे कभी डूब जाने की

   है तलब उस किनारे से दूर जाने की।


   जिस चेहरे से हटती नही थी निगाहें

    कोशिश है उस चेहरे को भूल जाने की।


    जिन रांहो पे चलने की रही बेताबी

     कोशिश है उन राहों से बच के जाने की।


     वजह थी जो कभी मुस्कुराने की 

      बन गई वजह खुद को रुलाने की।


       यादें जो वजह थी खुश हो जाने की 

       जारी है कोशिश उन्हें मिटाने की।।

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