Saturday, March 23, 2024

कहीं दूर चल

 चल मन कही दूर चल

जहां दिखे पूरा चांद

जहां मिले खुला आसमान

हो हवा निर्मल

कल कल बहता हो 

नदिया का जल।


न हो काला जहरीला धुंआ जहां

बस मुझे वही ले चल।

जहां हो चिड़ियों की चहचहाट

जहां मिले जीवन की आहट

न हो भागम भाग जहां

मिले खुद को खुद का साथ जहां

बस वही ले चल।


चल मन कही दूर चल

जहां चंदा लोरी सुनाएं

सूरज की किरणे सुबह जगाए

जहां हो प्रकृति का संगीत

धूप  हरियाली बन जाए मनमीत

ले चल मुझे बस वही ले चल।।

No comments:

Post a Comment

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...