निभाना नही था जब वादा कोई
झूठी कसमें क्यूं खाते हो?
पास आए नही हम
और तुम छोड़ जाते हो?
जाना था दूर तक मगर
दो कदम पर साथ छोड़ जाते हो?
नहीं है जब कोई अहसास
खास क्यूं बताते हो?
हर वफा का इनाम
जफा क्यूं दे जाते हो
बुझानी ही थी लौ अगर
पास आकर हवा क्यूं दे जाते हो?
कर के सब चालाकियां
नादान क्यूं बन जाते हो?
बांट देते हो खुद को सब में मगर
बस मेरे हिस्से में काम क्यूं आते हो?
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