चांद में चांदनी है जैसे
फूलों में रंग है वैसे
कोयल की कूक
बरसात में जैसे।
लगे सुहावन मन को ऐसे
ठंड में सर्दी की धूप जैसे
बेचैन हो तूभी कभी ऐसे
चाहे तुझे कोई मेरे जैसे।
निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते अचानक यूं छोड़ जाता है कोई सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...
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