Monday, March 4, 2024

बेचैन

 चांद में चांदनी है जैसे

फूलों में रंग है वैसे

कोयल की कूक

बरसात में जैसे।


लगे सुहावन मन को ऐसे

ठंड में सर्दी की धूप जैसे

बेचैन हो तूभी कभी ऐसे

चाहे तुझे कोई मेरे जैसे।

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