निगाहों से दिल में उतरकर
यूं चला जाता है कोई
सोचा न था।
साथ चलते चलते अचानक
यूं छोड़ जाता है कोई
सोचा न था।
बनकर करार बेकरारी
दे जाता है कोई
सोचा न था।
बनकर चाहत नफरत दे जाता है कोई
सोचा न था।
थी जिसके एक झलक की बेताबी
उस से निगाह बचाएगा कोई
सोचा न था।
बनकर अपना बेगाना बना जाता है कोई
सोचा न था।
माना था हमसफर जिसे
वो अजनबी हो जायेगा
सोचा न था।।