Sunday, May 5, 2024

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर

यूं चला जाता है कोई

सोचा न था।

साथ चलते चलते  अचानक

यूं छोड़ जाता है कोई 

सोचा न था।


बनकर करार बेकरारी

दे जाता है कोई

सोचा न था।


बनकर चाहत नफरत दे जाता है कोई 

सोचा न था।


थी जिसके एक झलक की बेताबी

उस से निगाह बचाएगा कोई

सोचा न था।


बनकर अपना बेगाना बना जाता है कोई 

सोचा न था।


माना था हमसफर जिसे

वो अजनबी हो जायेगा

सोचा न था।।

Saturday, March 23, 2024

कहीं दूर चल

 चल मन कही दूर चल

जहां दिखे पूरा चांद

जहां मिले खुला आसमान

हो हवा निर्मल

कल कल बहता हो 

नदिया का जल।


न हो काला जहरीला धुंआ जहां

बस मुझे वही ले चल।

जहां हो चिड़ियों की चहचहाट

जहां मिले जीवन की आहट

न हो भागम भाग जहां

मिले खुद को खुद का साथ जहां

बस वही ले चल।


चल मन कही दूर चल

जहां चंदा लोरी सुनाएं

सूरज की किरणे सुबह जगाए

जहां हो प्रकृति का संगीत

धूप  हरियाली बन जाए मनमीत

ले चल मुझे बस वही ले चल।।

Monday, March 4, 2024

क्यों

 निभाना नही था जब वादा कोई

झूठी कसमें क्यूं खाते हो?

पास आए नही हम 

और तुम छोड़ जाते हो?


जाना था दूर तक मगर

दो कदम पर साथ छोड़ जाते हो?

नहीं है जब कोई अहसास

खास क्यूं बताते हो?


  हर वफा का इनाम

   जफा क्यूं दे जाते हो

    बुझानी ही थी लौ अगर

    पास आकर हवा क्यूं दे जाते हो?


कर के सब चालाकियां

नादान क्यूं बन जाते हो?

बांट देते हो खुद को सब में मगर

बस मेरे हिस्से में काम क्यूं आते हो?

बेचैन

 चांद में चांदनी है जैसे

फूलों में रंग है वैसे

कोयल की कूक

बरसात में जैसे।


लगे सुहावन मन को ऐसे

ठंड में सर्दी की धूप जैसे

बेचैन हो तूभी कभी ऐसे

चाहे तुझे कोई मेरे जैसे।

उम्मीद

 मंजिल वहीं है, पर रास्ते बदल गये।

जाने कब उम्मीद के सूरज ढल गये।


बंद कर ली है आंखे मगर

सपनों में आना छूटा नही है ।


गहरी है चोट, गहरा असर है

कैसे कहूं दिल टूटा नही है।



छुड़ा लिया उसने दामन मगर

दिल का धागा टूटा नहीं है।


बदल गये हैं वो आजकल

पर बहुत कुछ छूटा नहीं है।


बदला वक्त, हम दूर तक निकल गये।

जाने कब उम्मीद के सूरज ढल गये।

- *मंजरी*

Sunday, November 19, 2023

तलब

 चाहत थी जिसमे कभी डूब जाने की

   है तलब उस किनारे से दूर जाने की।


   जिस चेहरे से हटती नही थी निगाहें

    कोशिश है उस चेहरे को भूल जाने की।


    जिन रांहो पे चलने की रही बेताबी

     कोशिश है उन राहों से बच के जाने की।


     वजह थी जो कभी मुस्कुराने की 

      बन गई वजह खुद को रुलाने की।


       यादें जो वजह थी खुश हो जाने की 

       जारी है कोशिश उन्हें मिटाने की।।

Friday, November 10, 2023

चलते जाना

 माना नामुमकिन है वक्त को रोक पाना

बहते समय की धार को कहीं मोड़ पाना।


करें उदास जब जिंदगी की राहें

कुछ देर ठहरना, बचपन में खो जाना, वो रूठना,वो मानना

वो झगड़कर भी साथ खाना।


वो सखियों की मनुहार, वो टीचर की डांट। भूलकर सब अगले ही पल

फिर से नई शरारत कर जाना।


वो दशहरे का त्योहार

और खुशियां हजार

होली के रंगों से रंगना

नए कपड़े पहन शाम को निकलना 

चंद रुपयों में जहां की

खुशियां समेटना।


ना भविष्य की चिंता 

ना भूत का पछतावा

खुश रहना बस आज में

एक-एक सीढ़िया चढ़ते जाना।


वो मां का दुलार

पापा की फटकार

वो पुरानी गलियां, वो पुराना मकान

हैं बस यादें मगर, यादों में ही ठहर जाना।


चलेगा वक्त मगर,

वो बचपन फिर ना आयेगा,

वो खुशियां न दे पाएगा, 

फिर भी चलते जाना,

फिर भी चलते जाना ़़़़़़़।

- *मंजरी*

सोचा न था

 निगाहों से दिल में उतरकर यूं चला जाता है कोई सोचा न था। साथ चलते चलते  अचानक यूं छोड़ जाता है कोई  सोचा न था। बनकर करार बेकरारी दे जाता है ...